कमलापुरी समाज के नाम डॉ राजकुमार गुप्ता का पत्र

महाधिवेशन और अध्यक्ष का चुनाव निकट है। समाज ने अब तक बहुत विमर्श किया है। पहली बार समाज में बड़े पैमाने पर जागरूकता आई है। बिहार में पहली बार जिला प्रतिनिधियों का चुनाव हुआ एवं प्रदेश कार्यकारिणी का गठन हो सका। अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों का भ्रमण समाज को संगठन और संविधान, महाधिवेशन और अध्यक्ष की महत्ता के बारे में जागरूक कर रहा होगा।


हमने अनुभव किया है कि संविधान में मनमाने तरीके से बदलाव किए गए, सांगठनिक स्तर से सामाजिक जागरूकता और एकता के लिए काम ना हो सका, कैसे केंद्रीय परिषद का फर्जी तरीके से गठन हुआ जो आज के अधिवेशन में अध्यक्ष के चुनाव के लिए वोटर हैं। कैसे पूर्व के एक मठाधीश ने संगठन को एक जेबी संगठन के रूप में बना दिया। महासभा रिश्तेदारों और कृपा पात्र सदस्यों का एक गिरोहबंद संगठन बन गया। सारे तथ्य प्रमाण सहित आपके सामने रखे गए।

हमने सबक सीखा कि अब एक सशक्त संगठन की आवश्यकता है जो समाज को जागरूक कर सके और उसमें एकता स्थापित कर सके। महासभा के इतिहास में बिहार में पहली बार बड़े पैमाने पर जिला संगठन बने, जिला प्रतिनिधियों का चुनाव हुआ और कहलगांव में लंबे समय के बाद प्रादेशिक कार्यकारिणी का गठन हुआ- एक बेहद ऊर्जावान कमलापुरी प्रांतीय अध्यक्ष बना। और अब राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने की बारी है।

बिहार प्रांतीय कार्यकारिणी के गठन की समीक्षा करने से हमें यह अनुभव प्राप्त हुआ कि समाज को अभी और सबक सिखने पड़ेंगे। संविधान का पूर्ण पालन न हो सका। आवश्यक होने पर, बदलाव अपरिहार्य होने पर संविधान ने अपने संशोधन का अधिकार और तरीका आपको दे रखा है। पहले संविधान में संशोधन करें फिर संगठन और काम का विस्तार करें। यह शुचिता, संविधान और समाज के प्रति आपकी आस्था दर्शाता है। याद रहे, समाज की सम्मिलित आंखें हम पर लगी रहती हैं और इसके सामने समाज का अपने आप को सबसे ज्ञानी या शक्तिशाली मानने वाला व्यक्ति भी बौना होता है। संविधान में कहीं भी प्रदेश के किसी पदाधिकारी के मनोनयन का प्रावधान नहीं है। सभी पदों पर चुनाव का ही नियम है। एक से अधिक उपाध्यक्ष नहीं हो सकते।

पद से बड़ा संगठन, संगठन से बड़ा संविधान और समाज सर्वोपरि है। संविधान ने संशोधन का अधिकार केवल केंद्रीय परिषद को दिया है। (कभी छोटी मोटी बातों के अपरिहार्य होने पर अपनी सभा में अनुमति प्राप्त कर सभा की कार्यवाही में अंकित करें- केंद्रीय परिषद द्वारा अनुमोदन की प्रत्याशा में! ) इन मान्यताओं का पालन न होने से संगठन जेबी संगठन बनकर कमजोर हो जाता है।  ऐसे में पद पर बैठा व्यक्ति अपने आप को दबंग समझने वाले और असामाजिक तत्वों अर्थात सामाजिक रूप से कमजोर को रेवड़ियां बांटने लगता है, अपने रिश्तेदारों और कृपा पात्रों का गिरोह बनाकर संगठन पर लंबे समय के लिए कब्जा कर लेता है। पूर्व में ऐसा ही हुआ। प्रत्यक्ष को प्रमाण क्या !!

उम्मीद करता हूं कि समाज अपने अनुभव और आवश्यकता से सबक लेकर सजग होगा और महाधिवेशन और अध्यक्ष के चुनाव के लिए अपनी जागरूकता और एकता प्रदर्शित करेगा।

नव वर्ष की मंगल कामनाएं 🌹🌹
प्रो डॉ राजकुमार गुप्ता 🙏

2 comments:

  1. 🤝👍❤️🙏

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  2. नव वर्ष की शुभकामनाएं कमलापुरी समाज के संविधान की जानकारी देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद जब आपके पिताजी विधानसभा चुनाव लड़ रहे थे तो उसे वक्त के कमलापुरी तथाकथित लोगों ने गुप्त रूप से जाकर के यह प्रचार किया गया किए हुए बैठ गय जिस कारण जो वोट आना चाहिए नहीं आ सका फिर भी पहले और अब मैं बहुत परिवर्तन हुआ है बहुत-बहुत धन्यवाद

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