CA के लिए अपने समाज में एक मिथ्या हैं कि बेहद कठिन परिश्रम और काफी समय गुजर जाने पर ही बहुत कम छात्र सफल होते हैं।लेकिन अर्पिता ने अपनी दिन-रात की कठिन परिश्रम के बदौलत एक निश्चित समय सीमा के भीतर CA का मुकाम हासिल कर लिया हैं।
अर्पिता का बचपन अपने ननिहाल बैरगनिया में गुजरा हैं।नानी(श्री मती किशोरी देवी)और नाना(स्व.श्री धर्मनाथ प्रसाद)के पास लालन-पालन हुआ हैं।अर्पिता जब आठ महीने की रही होगी तभी से नानी ने इसे पाला-पोसा हैं।काफी दिलचस्प हैं कि अर्पिता अपनी नानी को नानी न कहकर माई कहकर ही हमेशा बुलाया करती हैं।आज भी माई का संबोधन जारी हैं।
अर्पिता बचपन से ही पढ़ाई में तेजतर्रार और मेधावी रहीं हैं।ननिहाल और समाज का स्नेह और संस्कार को संजोकर रखा और आगे आने वाली हर बाधाओं को तोड़ते हुए यह सफलता अर्जित की हैं।बैरगनिया आने पर वह हर किसी से बोलचाल में स्थानीय भाषा का ही इस्तेमाल करती हैं।
सिविल सर्विसेज की तरह CA की कठिन तैयारी होती हैं।इस परीक्षा में न आरक्षण हैं न ही किसी की पैरवी चलती हैं।छात्र-छात्राओं को अपने बदौलत ही खुद की लड़ाइयां लड़नी होती हैं। जीएसटी लागू होने के बाद विभिन्न क्षेत्रों में CA की मांग में भारी इजाफ़ा हुआ हैं।
रिपोर्ट-
मनोज कुमार, बैरगनिया
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