वीरपुर महाधिवेशन में होने वाले चुनाव के लिए तीन उम्मीदवार मैदान में हैं। इस बार वर्तमान अध्यक्ष जयराम प्रसाद गुप्ता (मधुबन, बिहार), वर्तमान कार्यसमिति के सदस्य विनोद गुप्ता (कहलगांव, बिहार) और दुष्यंत कुमार ज्ञान (गोंडा, उत्तर प्रदेश) के बीच टक्कर है। ज्ञान जी भी राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य हैं। वीरपुर महाधिवेशन में इन तीनों में से ही एक अध्यक्ष चुने जाएंगे। जब लाखों की संख्या वाले कमलापुरी समाज में सौ के करीब लोगों को ही अध्यक्ष पद के चुनाव में मतदान का अधिकार है, तो कोशिश होनी चाहिए कि सर्वसम्मति से एक नाम तय कर लिया जाए।
सर्वसम्मति से अध्यक्ष का चुनाव कोई कठिन काम नहीं है। वोट देने वाले सभी सौ-सवा सौ लोग या तो प्रदेश अध्यक्ष या फिर कार्यसमिति और केंद्रीय परिषद के सदस्य हैं। बीच-बीच में इन लोगों की बैठक होती ही रहती है। ऐसे में तीनों उम्मीदवार को कम से कम ये तो जरूर पता होगा कि किनका पाला मजबूत है। इस हिसाब से जिन्हें लगे कि मेरा पलड़ा कमजोर है, मजबूत उम्मीदवार का समर्थन कर आपसी सद्भाव से अध्यक्ष चुन सकते हैं। इससे समाज में एक पॉजिटिव संदेश भी जाएगा।
कुछ लोगों का कहना है कि अखिल भारतीय कमलापुरी वैश्य महासभा संरक्षक जिनका समर्थन कर देंगे, उनका अध्यक्ष बनना तय है। इस हिसाब से वर्तमान अध्यक्ष जयराम प्रसाद गुप्ता जी का पलड़ा भारी है। कुछ लोगों का कहना है कि उन्होंने विनोद गुप्ता जी को अपना आशीर्वाद दिया है। इस पर और लोगों का यह भी कहना है कि अपना आशीर्वाद दिया है, पीठ पर हाथ नहीं रखा है और विजयी भव नहीं कहा है। चरण स्पर्श करने पर वैसे आशीर्वाद देना और जीत का आशीर्वाद देना दोनों अलग बात है।
वैसे अगर पिछले कुछ दिनों की गतिविधियों पर नजर डालें तो सबसे सक्रिय विनोद कुमार गु्प्ता हैं। वे वोट का अधिकार रखने वाले हर पदाधिकारी से मिल रहे हैं और उन्हें अंगवस्त्र पहनाकर अपने पक्ष में मतदान के लिए आग्रह कर रहे हैं। ज्ञान जी भी कई जगह गए हैं और विनोद जी की तरह ही सोशल मीडिया पर तस्वीरों को शेयर किया है। जयराम गुप्ता जी फिलहाल पदाधिकारियों के साथ महाधिवेशन को सफल बनाने की तैयारी में लगे हुए हैं।
अगर सर्वसम्मति से अध्यक्ष का चयन नहीं हुआ तो चुनाव होने की स्थिति में जीत उन्हें मिलने की ज्यादा संभावना है, जो 100 में से कम से कम 51 को साध चुके होंगे। आमतौर पर महाधिवेशन में वोटिंग राइट वाले 60 से 70 लोग ही पहुंचते हैं। ऐसे में जिन्हें 50 से ज्यादा लोगों का समर्थन होगा, उनकी जीत तो हर हाल में पक्की होगी। इसके लिए बाहर प्रचार की जरूरत नहीं है, सिर्फ उन्हें अपने पक्ष में करने की जरूरत है। वोट देने वाले 50 से ऊपर को अपने पक्ष में कर लिया तो कुर्सी पक्की।
वैसे जब महाधिवेशन के दौरान चुनाव हो रहा है तो इन लोगों को अपना संकल्प पत्र भी सामने रखना चाहिए। घोषणा पत्र या कार्ययोजना के बारे में बताकर आम लोगों के बीच भी अपने पक्ष में माहौल बना सकते हैं। आम लोगों को यह बताकर कि जीतने पर मैं कमलापुरी समाज के लिए ये सब काम करूंगा, अपनी छवि मजबूत कर सकते हैं। तीनों उम्मीदवार को ये जरूर बताना चाहिए कि जीतने पर समाज के लिए वे क्या-क्या करेंगे। उन्हें कमलापुरी समाज को आगे ले जाने के लिए अपना एजेंडा भी सामने रखना चाहिए।
विनोद कुमार गुप्ता जी ने जो अपना घोषणा पत्र जारी किया है उसमें उन्होंने 14 सुधार के वादे किए हैं। चुनाव को लेकर भी उन्होंने घोषणापत्र में सुधार की बात की है। उम्मीद है दूसरे उम्मीदवार भी जल्द से जल्द आम लोगों के साथ भी अपना घोषणा पत्र शेयर करेंगे।
दुष्यंत कुमार ज्ञान जी ने भी अपना घोषणा पत्र जारी कर कमलापुरी समाज की बेहतरी के लिए कई वादे किए हैं। घोषणा पत्र में संविधान संशोधन कर कई तरह के बदलाव की भी बात है। इस घोषणा पत्र के जरिए आपको उनके बारे में जानने का भी मौका मिलेगा।
फिलहाल बिहार प्रदेश अध्यक्ष पवन गुप्ता और उपाध्यक्ष आजाद गुप्ता जी-जान से वीरपुर महाधिवेशन की सफलता के लिए जुटे हुए हैं। पवन गुप्ता जी और आजाद गुप्ता जी अपनी टीम के साथ राज्य भर का दौरा कर रहे हैं। चंदा अभियान के साथ ही राज्य भर को कमलापुरी भाई-बंधुओं को महाधिवेशन में आने के लिए पर्सनली न्योता भी दे रहे हैं।
महाधिवेशन से पहले विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म के साथ शिवहर और पचपकड़ी की बैठक में आमलोगों की तरफ से कई सुझाव भी पेश किए गए। पिछले दो साल के दौरान कमलापुरी समाज को लेकर आम लोगों में काफी जागरूकता आई है और वे चाहते है कि महासभा और महाधिवेशन में आम लोगों की भागीदारी बढ़े। इसके लिए कई सार्थक सुझाव दिए गए हैं। हालांकि अभी तक इसपर विचार करने से साफ इनकार कर दिया गया है, लेकिन इन सुझावों को लागू कर हम कमलापुरी समाज को काफी आगे ले जा सकते हैं।
अगर कुछ प्रमुख सुझावों पर नजर डाले तो-
1. सबसे प्रमुख सुझाव है कि महासभा चुनाव में एक परिवार-एक वोट नियम लागू हो। इससे कमलापुरी समाज के लोगों की जाति के कामकाज में भागीदारी बढ़ेगी। अभी आम लोगों का महाधिवेशन में कोई खास भागीदारी नहीं है। वे सिर्फ बैठक में भाग लेने के लिए आते हैं। रिश्तेदारों से मिलते हैं और भोज-भात खाकर निकल जाते हैं। कमलापुरी समाज से जुड़े फैसलों में उनकी कोई भागीदारी नहीं होती। अध्यक्ष चुनाव से लेकर संशोधन तक सिर्फ कार्यसमिति और केंद्रीय परिषद के सदस्यों की भागीदारी होती है।
2. दूसरा सुझाव यह है कि जब अध्यक्ष चुनाव में कार्यसमिति और केंद्रीय परिषद के सदस्यों को मिलाकर कुल जमा 100-125 लोगों को ही वोट देने का अधिकार है, तो फिर चुनाव के लिए महाधिवेशन बुलाने का इंतजार क्यों? अध्यक्ष पद का चुनाव तय समय पर इन लोगों की बैठक बुलाकर की जा सकती है। चुनाव के साथ ही संविधान संशोधन जैसे अहम फैसले भी इस बैठक के दौरान कर सकते हैं। जहां तक महाधिवेशन की बात है वो करिए उसपर कोई रोक नहीं है। समाज के लोगों का आपस में बीच-बीच में मिलते-जुलते रहना चाहिए।
3- तीसरा प्रमुख सुझाव यह है कि अध्यक्ष के साथ उपाध्यक्ष, महामंत्री, कोषाध्यक्ष और सभी पदाधिकारियों का चुनाव भी मतदान के जरिए होना चाहिए। फिलहाल इन लोगों का चुनाव नहीं बल्कि चयन या मनोनयन होता है। ये आरोप लगते रहे हैं कि कार्यसमिति और केंद्रीय परिषद में अपने सगे-संबंधी और रिश्तेदारों का मनोनयन कर लिया जाता है। चुनाव होने की स्थिति में अध्यक्ष पर इस तरह के आरोप नहीं लगेंगे।
4. अगर कार्यसमिति और केंद्रीय परिषद के लिए पदाधिकारियों का चयन करना ही हो तो ये ध्यान रखा जाए कि कोई किसी का डायरेक्ट संबंधी या रिश्तेदार ना हो। इसके साथ कार्यकारिणी, कार्यसमिति और केंद्रीय परिषद के मनोनयन में देश के सभी हिस्से के लोगों की भागीदारी हो। साथ ही ये ध्यान रखा जाए कि संविधान के अनुसार उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए, क्योंकि कुछ लोगों का आरोप है कि इसका पालन नहीं किया जा रहा है।
5- एक और अहम सुझाव यह है कि अखिल भारतीय कमलापुरी वैश्य महासभा के पदाधिकारियों को अपने कामकाज और उपलब्धियों की जानकारी समय-समय पर समाज के लोगों के बीच पहुंचाने की कोशिश करनी चाहिए। कामकाज और उपलब्धियों की जानकारी सार्वजनिक होने से आम लोगों को भी लगता है कि हमारे अध्यक्ष और सचिवजी कुछ काम कर रहे हैं।
इसमें बड़ी बात यह है कि काम होना ही नहीं दिखना भी चाहिए, जबकि पिछले दो साल से सोशल मीडिया पर बार-बार मांगने पर भी पिछले 8 साल की उपलब्धियों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। हर बार बोला गया ऑफिस आ जाइए दिखाते हैं। आज के डिजिटल युग में इस तरह की बातें शोभा नहीं देती। आप संक्षिप्त में भी तो अपना काम लोगों के सामने रख सकते हैं। नहीं बताने पर लोगों को लगता है कि इनके पास बताने के लिए कुछ है ही नहीं। बताने लायक कुछ होगा तब ना बताएंगे।
6- सोशल मीडिया या आमजनों के बीच आपसी चर्चा से यह भी पता चला कि लोगों को पांच साल का कार्यकाल काफी ज्यादा लगता है। लोग चाहते हैं कि इसे कम करके दो-तीन साल कर देना चाहिए। क्योंकि लोगों को लग रहा है कि कोई काम नहीं कर रहा है तो 5 साल झेलने के बजाय उन्हें 3 साल में ही चेंज कर सके। इसके साथ ही अगर कार्यकाल के आखिर में ही महाधिवेशन होना हो तो वो 5 की बजाय 3 साल में हो और कमलापुरी समाज को जल्दी मिलने-जुलने का मौका मिल सके।
7- मौजूदा कार्यकाल या इसके पहले के कार्यकाल को देखें तो दोनों तय समय से काफी ज्यादा रहा है। इसलिए यह सुझाव यह भी है कि कार्यकाल खत्म होने से तीन-चार महीने पहले हर हाल में चुनाव या महाधिवेशन के लिए अधिसूचना जारी हो जानी चाहिए। साथ ही चुनाव ना होने की स्थिति में महासभा स्वत भंग हो और चयनित पदाधिकारियों के सारे अधिकार स्वत खत्म हो जाए। इससे पदाधिकारियों पर खुद जल्द चुनाव या महाधिवेशन कराने का दबाव बना रहेगा।
8- केवटी और वीरपुर महाधिवेशन को देखते हुए एक बात पर बहुत जोर देने की जरूरत है कि महाधिवेशन कराने में उन स्थानों की प्राथमिकता दी जानी चाहिए जहां लोग आसानी से आ-जा सके। महाधिवेशन अगर किसी राजधानी या बड़े शहर में होने पर दस तरह की व्यवस्था करने में आसानी रहनी है। कोशिश ऐसे स्थान पर कराने की होनी चाहिए जहां आवागमन के साथ ठहरने की भी उत्तम व्यवस्था हो। लोग रेल, सड़क या हवाई जहाज किसी भी माध्यम से स्थल पर पहुंच सके।
9- आज के आधुनिक डिजिटल युग में भी कुछ लोग पुराने ढर्रे पर चलना चाहते हैं। आजकल की डिजिटल दुनिया में जब तक कुछ ऑनलाइन चल रहा है, ऐसे में महासभा को मांगे जाने पर अपनी उपलब्धियां ऑनलाइन उपलब्ध करानी चाहिए। पत्रिका का प्रकाशन के साथ एक वेबसाइट बनाकर समय समय पर अपने कामकाज का ब्योरा अपडेट करते रहना चाहिए। पत्रिका- वेबसाइट पर महासभा और जाति से जुड़ी हर जानकारी उपलब्ध कराने का प्रयास होना चाहिए।
10- महासभा के पास अपनी जाति के लोगों की कोई सूची मौजूद नहीं है। इसलिए एक डायरेक्टरी बनाने की कोशिश की जानी चाहिए। कोशिश ये भी होनी चाहिए कि अपनी जाति के जितने भी सिविल सर्विस अधिकारी, डॉक्टर- इंजीनियर, सीए, वकील, राजनेता, एमपी-एमएलए, पार्षद से लेकर मुखिया- सरपंच तक हैं। उन लोगों की भी एक सूची होनी चाहिए। जिससे जरूरत पड़ने पर लोग उनसे संपर्क कर सके। इसके साथ ही महासभा से जुड़े हर राज्य और शहर के पदाधिकारियों के संपर्क सूत्र भी होने चाहिए।
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I shyamal kishore gupta bpresident kamlapur purnea unit totally agreed with all the above content with respect to insuing mahaadhivesan at Birpur.
ReplyDeleteमेरे द्वारा भी घोषणा पत्र एवं परिचय पत्र जारी किया गया है और लोगों को वितरित भी किया गया है परंतु मेरे घोषणा पत्र का कहीं जिक्र नहीं किया गया आपका दुष्यंत कुमार ज्ञान अध्यक्ष प्रत्याशी गोंडा उत्तर प्रदेश
ReplyDeleteआपके घोषणा पत्र को जगह दे दी गई है, धन्यवाद
DeleteBahut satik vichar hai sir.hum sahmat hu.
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद
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