देश-दुनिया के सभी कमलापुरी समाज के लोगों के लिए एक प्रतिनिधि संगठन है- अखिल भारतीय कमलापुरी वैश्य महासभा। अखिल भारतीय कमलापुरी वैश्य महासभा के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होता है जबकि उपाध्यक्ष, महामंत्री से लेकर तमाम पदों के लिए मनोनयन होता है। आमतौर पर 5 साल में होने वाले महाधिवेशन में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होता है। वैसे इस बार का महाधिवेशन 8 साल के बाद बिहार में सुपौल जिला के वीरपुर में 7 जनवरी 2024 को होने जा रहा है।
कमलापुरी समाज से जुड़े लोगों के कई फेसबुक पेज और व्हाट्सएप ग्रुप हैं। इन व्हाट्सएप ग्रुपों से महासभा के तमाम पदाधिकारी भी जुड़े हुए हैं। मुझे भी जोड़ा गया तो मैंने भी उत्साह के साथ कमलापुरी बनिया समाज के बारे में जानने के लिए कुछ सवाल किए, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि ज्यादातर सवालों के जवाब नहीं मिले। तमाम पदाधिकारीगण चु्प्पी साधे रहे। कुछ सवालों के जवाब मिले भी तो महासभा से अलग लोगों के जरिए। पिछले 8 साल के कार्यकाल के दौरान की उपलब्धियों के बारे में भी कुछ नहीं बताया गया।
चूंकि महाधिवेशन के दौरान अध्यक्ष चुनाव में सौ-सवा सौ लोग ही मतदान का अधिकार रखते हैं, ऐसे में महासभा या कमलापुरी समाज के प्रति लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए हर कमलापुरी परिवार से एक व्यक्ति को वोट का अधिकार देने का सुझाव दिया गया। एक परिवार-एक वोट सुझाव पर विचार करने की बात तो दूर तत्काल खारिज कर दिया गया। साफ कह दिया गया कि संविधान में संशोधन नहीं हो सकता। अजब है... भारत के संविधान में हो सकता है लेकिन कमलापुरी संविधान में नहीं, जबकि केवटी महाधिवेशन के दौरान भी एक संशोधन हो चुका है।
इन व्हाट्सएप ग्रुप में रहने के दौरान पिछले एक साल में कई लोगों से मिलने-जुलने और उन्हें जानने-समझने का मौका मिला। कई लोगों के प्रति भ्रम भी टूटा। कई लोगों के बारे में सोचता कुछ था वो निकले कुछ। हद तो तब हो गई जब निर्वाचन पदाधिकारी के गलत तरीके से नियुक्ति पर सवाल उठाए गए तो महासभा के उपाध्यक्ष शिवाजी गुप्ता गाली-गलौज करने लगे। जहां पदाधिकारी ऐसे हो वहां और क्या उम्मीद कर सकते हैं। ऐसे में एक साथ सभी व्हाट्सएप ग्रुप से बाहर होने का फैसला करना पड़ा। ग्रुप से बाहर होते वक्त जो मैंने लिखा वो इस तरह है-
पिछले एक साल के अनुभव से लगता है कि कमलापुरी समाज के पिछड़ेपन का एक कारण संवाद की कमी है। हम परिवार में संवाद नहीं करते। पिता-पुत्र के बीच संवाद नहीं होता। चाचा-भतीजे के बीच किसी मुद्दे पर चर्चा नहीं होती। किसी बड़े से कोई सवाल पूछने पर वो अपना अपमान समझते हैं कि ये लड़का सवाल-जवाब करता है। किसी मुद्दे पर परिवार में तार्किक बहस नहीं करते हैं। किसी को कोई शंका है तो उस जिज्ञासा को शांत करने की कोशिश नहीं करते। अगर बड़े बुजुर्ग बताएंगे नहीं तो बच्चे जानेंगे कैसे? लेकिन कमलापुरी में सवाल करने को गलत माना जाता है...बताने-समझाने की जगह चुप्पी साध लिया जाता है या फिर डांट दिया जाता है।
जबकि मेरे गांव में ठीक इससे उलट रहा है। मेरा गांव केवटी मिथिला के सबसे शिक्षित गांव में से एक रहा हैं। केवटी शुरू से बनिया के साथ ब्राह्मण और कायस्थ बहुल गांव रहा है। ब्राह्मण और कायस्थ परिवार में यह है कि वे हर मुद्दे पर बच्चों के साथ संवाद- डिस्कशन करते हैं। तर्क-वितर्क करते हैं। इससे उनके ज्ञान का विस्तार होता है। इंटरव्यू फेस करना आसान रहता है, इसलिए इनके बच्चे देश-दुनिया पर बड़े पोस्ट पर हैं। हमलोगों के ब्राह्मण और कायस्थ के साथ पारिवारिक टाइप संबंध रहे हैं। हर पर्व-त्योहार, शादी- मुंडन या अन्य कार्यक्रम में एक दूसरे के यहां आना-जाना रहा है। ऐसे में अपना भी शुरू से संवाद में विश्वास रहा है। किसी भी विवाद का निपटारा संवाद से ही संभव है।
लेकिन यहां देख रहा हूं लोग अपने पारिवारिक माहौल के कारण किसी भी सवाल को पर्सनली ले लेते हैं। वे किसी सवाल का जवाब नहीं देते। केंद्रीय परिषद और कार्यसमिति वाले ग्रुप में भी कई बार जिज्ञासा शांत करने के लिए कुछ सवाल किए, लेकिन कभी कोई जवाब नहीं मिला। इस ग्रुप में भी पिछले एक साल से कई बार कई चीजों के बारे में जानने की कोशिश की, जवाब तो नहीं मिला लेकिन कुछ ऐसे लोग सामने जरूर आए जिनके मैसेज से साफ लगा कि वे मामले को डायवर्ट करना चाहते हैं।
ग्रुप में सवाल उठाने या सलाह देने का मतलब यह थोड़े ही है कि हम किसी के खिलाफ हैं। यहां सभी लोग कमलापुरी परिवार से ही है। सवाल पूछने या सलाह देने वालों की एक ही मकसद होता है कमलापुरी परिवार-समाज का उत्थान लेकिन कई लोग इसे अन्यथा ले लेते हैं। लोगों की जिज्ञासा को शांत करने के बजाय एक तरह से डांटने-डपटने का काम करने लगते हैं। आपको ये समझना पड़ेगा कि जो पदाधिकारी नहीं है, वो भी समाज के लिए उतना ही चिंतित है। बल्कि उन्हें ज्यादा चिंता है, इसलिए वो बार-बार आपको टोक रहे हैं...आपसे अपनी उपबल्धि बताने को कह रहे हैं ताकी आप किसी ना किसी बहाने एक्टिव रहे...काम करते रहे।
बहुत दिन देख लिए अब इन लोगों से उम्मीद टूटने लगी है। लोग मामले को डायवर्ट करने के लिए आन का तान लिखने लगे हैं। ऐसे में बाहर रहना ही बेहतर है। वैसे संपर्क का जरिया सिर्फ ग्रुप थोड़े ही है...पर्सनली संपर्क में बने रहेंगे...
यह वेबसाइट www.kamlapuriparivar.com कमलापुरी परिवार के सभी लोगों के लिए समर्पित है। यहां आप परिवार में हो रहे बर्थडे, तीज-त्योहार, शादी-विवाह, उत्सव से संबंधित खबरें और फोटो भेज सकते हैं। आपके पास वैश्य समाज से संबंधित कोई भी जानकारी है तो लिख कर फोटो के साथ मुझे guptahitendra @ gmail. com पर भेज दें। यहां नीचे कमेंट बॉक्स में अपना कमेंट/ विचार / सलाह जरूर लिखें
धन्यवाद- हितेन्द्र गुप्ता
सहमत
ReplyDeleteविश्व स्तर पर एक नई संस्था बनाने पर विचार होना चाहिए. महाराष्ट्र, Chhattisgarh, UP,Delhi N C R से सम्पर्क किया जाना चाहिए.
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा संवाद लिखा गया है। परिस्थिति से हारना विकल्प नहीं है। संघर्ष तो करना पड़ेगा ही। आप नहीं तो आपके बच्चों को भी🙏
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