आप लोगों को पता ही होगा कि अखिल भारतीय कमलापुरी महासभा का महाधिवेशन वीरपुर में आगामी 7 जनवरी, 2024 को होने जा रहा है। इससे पहले की बैठक 8 साल पहले केवटी में हुई थी। हजारों लोग आए थे। अध्यक्ष जी का चुनाव हुआ था। आपको ये भी पता ही होगा कि महासभा की बैठक में सिर्फ अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होता है और चुने गए अध्यक्षजी अपने विवेक के अनुसार कार्यसमिति-केंद्रीय परिषद के लोगों को मनोनीत करते है।
यहां तक कि उपाध्यक्ष और सचिव (महामंत्री) का भी चुनाव नहीं होता। इन लोगों का चयन होता है। ऐसे में महासभा में भाग लेगे वाले आम लोगों की कोई खास भागीदारी नहीं होती है। वे सिर्फ महासभा के दौरान भीड़ बढ़ाने का काम करते हैं, आसपास के अपने रिश्तेदारों से मिलते हैं और भोज खाकर आ जाते हैं।ऐसे में जब वीरपुर में अध्यक्ष चुनाव होना है तो क्या आपको पता है कि केवटी महासभा सभा के दौरान कितने लोगों ने वोट किया था? क्या आप जानते हैं कि केवटी महाधिवेशन में अध्यक्ष का चुनाव कितने लोगों ने किया था? सिर्फ 55 लोगों ने, हां सही सुना आपके सिर्फ 55 लोगों ने। लाखों की जनसंख्या वाले कमलापुरी समाज में सिर्फ सवा सौ लोगों को वोट देने का अधिकार है। उसमें से सिर्फ 50-55 लोग ही वोट देने आते हैं। अध्यक्ष चुनाव में आपकी कोई भागीदारी नहीं होती है। ऐसे में क्या आप बता सकते हैं कि अध्यक्ष चुनाव में भाग लेने वाले वे खास लोग या वोटर कौन हैं? क्या आप उन्हें जानते हैं? क्या पिछले 8 साल के दौरान इन्होंने आपको दर्शन दिए हैं?
अध्यक्ष पद के चुनाव में वोट देने वाले लोग या तो प्रादेशिक सभा के प्रतिनिधि होते हैं या फिर अध्यक्ष द्वारा मनोनीत व्यक्ति। ये सभी कार्यसमिति- केंद्रीय परिषद के सदस्य होते हैं। क्या आपको लगता है कि जिस व्यक्ति को अध्यक्ष जी ने खुद मनोनीत किया हो या कार्यसमिति- केंद्रीय परिषद में शामिल किया हो, वो उनके खिलाफ वोट देंगे। या तो अध्यक्ष जी खुद चुनाव लड़ेंगे या फिर अपने ऐसे व्यक्ति को चुनाव में खड़ा करेंगे जो उनके कहे अनुसार ही काम करे। ऐसे में आपके अनुसार कमलापुरी समाज के हम-आप जैसे आम लोगों की भूमिका क्या रह जाती है?
ऐसी स्थिति में जब देश भर के कमलापुरी समाज के लोगों ने व्हाट्सएप और सोशल मीडिया के माध्यम से महासभा को 18 सूत्री सुझाव दिया तो पदाधिकारियों ने इन लोगों का मजाक उड़ाना शुरू कर दिया। समाज के कुछ लोगों ने सुझाव दिया कि बनिया समाज के हर परिवार को एक वोट देने का अधिकार हो, यानी एक परिवार-एक वोट। लेकिन शिवहर और पचपकड़ी बैठक में सुझाव देने वालों को भला-बुरा कहा गया। अध्यक्ष जी ने अपनी तुलना राष्ट्रपति से करते हुए किसी भी सुझाव को मामने से साफ इनकार कर दिया। क्या आपको नहीं लगता कि हर परिवार से एक वोट होने पर समाज के लोगों की भागीदारी बढ़ेगी?
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क्या आपको नहीं लगता कि आपको भी वोट का अधिकार होगा तो आप ऐसे व्यक्ति को चुनने का काम करेंगे जो कमलापुरी समाज के विकास कि लिए काम कर सके। महासभा को समय दे सके। जो समय-समय पर समाज के बीच जाकर लोगों की समस्या-परेशानी के बारे में जान सके और निवारण का काम कर सके। आपकी भागीदारी होगी तो वे समाज के विकास के लिए ज्यादा जिम्मेदारी के साथ काम करेंगे।
वर्तमान महासभा 8 साल से कार्यरत है, जबकि कार्यकाल 5 साल का था। इसके पहले के अध्यक्ष 12 साल तक पद पर जमे रहे थे। इस हिसाब से महासभा की ओर से पिछले 12+8= 20 साल में समाज के विकास, भलाई और हम-आप जैसै आम लोगों के लिए किए गए काम के बारे में आपको कुछ पता है क्या? 20 साल छोड़िए, क्या आपको पिछले 8 वर्षों के दौरान महासभा की ओर से किए गए 8 काम के बारे में भी पता है क्या? क्या आप महासभा की 8 उपलब्धियों को बता सकते हैं?
आप लोग व्हाट्सएप- सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं लेकिन आप में से कितने लोग अध्यक्ष जी का नाम जानते हैं? आपमें से कितने लोगों को पता है कि महासभा के उपाध्यक्ष और महामंत्री (सचिव) कौन हैं? क्या आप जानते हैं महासभा की कार्यसमिति- केंद्रीय परिषद में कितने लोग हैं और कौन-कौन हैं? 8 साल बाद महासभा की बैठक हो रही हैं लेकिन इस दौरान पिछले 8 साल में अध्यक्ष सहित महासभा से जुड़े किसी पदाधिकारी ने आपके यहां आकर समाज के विकास के बारे में बैठक या बातचीत की है? आपकी समस्या- परेशानी को सुलझाने का काम किया है क्या?
एक खास बात...क्या आपको पता है कि 8 साल हो जाने के बाद भी अभी तक कई राज्यों में प्रादेशिक सभा का गठन नहीं हो पाया है। बिहार में ही कोई प्रादेशिक सभा नहीं है। हाल ही में केंद्रीय परिषद के सदस्य निर्मली के पवन गुप्ता जी को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर प्रदेश अध्यक्ष के लिए चुनाव कराने और प्रादेशिक सभा की जिम्मेदारी दी गई है। पिछले दिनों ही वे केवटी भी गए थे। लेकिन आपको नहीं लगता कि ये भोज के समय कुम्हड़ रोपने का काम है? जो काम 8 साल पहले होना था, अब करने की कोशिश की जा रही है। सवाल तो उठेगा ही कि 8 साल तक महासभा के लोग क्या कर रहे थे? आपकी इस पर क्या राय है?
पवन गुप्ता जी का कहना है कि उन्हें लोगों का सहयोग नहीं मिल रहा है। ऐसे में आम लोगों का कहना है कि 8 साल से महासभा में रहते आपने कोई कोशिश क्यों नहीं की? लोग सवाल कर रहे हैं कि अब जब महाधिवेशन होना है तब आप लोगों की नींद क्यों टूटी है? लोगों का साफ कहना है कि अगर आपने पिछले 8 साल में काम किए होते तो लोग खुद आपके पास आते और कहते कि मेरे लायक कोई काम हो तो बताइएगा। लेकिन साल भर मस्ती करने वाले और परीक्षा के दिन पढ़ाई करने वाले की कौन मदद करेगा? या तो घर के लोग या ट्यूशन पढ़ाने वाले टीचर!
अब आप ही सोचिए पवन गुप्ता जी महासभा की बैठक से ठीक पहले आखिरी समय में... Eleventh Hour में गांव-गांव घूम रहे हैं। 8 साल पहले घूमे रहते तो लोग जागरूक भी होते... लेकिन आखिर इससे फायदा क्या? इससे आम लोगों का क्या? आप महासभा की बैठक में जाकर भी क्या करेंगे जब आपकी भागीदारी उसमें होगी ही नहीं... चुनाव होगा और वोट दे ही नहीं पाएंगे? कमलापुरी समाज के विकास-उत्थान के लिए अपना विचार जरूर दीजिएगा। अपना विचार और सवालों का जवाब कमेंट में जरूर लिखें। धन्यवाद।
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Apne jo bataya aur suman diya hai woh Bilkul sahi hai.mai aspke vicharo se sahmat ho.Lakir ka fakir barney se kuch nahi hosakta.
ReplyDeleteMahasabha ke sambhidhan ko puri tarah se badalney ki jarurat hai tabhi kuch ho sakta hai
धन्यवाद
Delete,क्या आप लोगों ने कभी सुना है, देखा है कि आम सदस्य केंद्रीय परिषद के सदस्य के चुनाव में भाग लेते हैं या अन्य प्रतिनिधियों के निर्वाचन में भाग लिए हैं? जबकि संविधान में इसके लिए विधान है। प्रत्येक इकाई स्थानीय सभा अपने सदस्यों में से कुल सदस्य संख्या के हर 15 पर एक के अनुपात से अधिक से अधिक 10 प्रतिनिधियों का निर्वाचन करेगी। ऐसे प्रतिनिधि महासभा के केंद्रीय परिषद का निर्माण करते हैं। यह सब प्रादेशिक सभा के भी सदस्य होते हैं। लेकिन अधिकांश केंद्रीय परिषद के सदस्य पुर्व या वर्तमान अध्यक्ष के द्वारा मनोनीत हैं, कुछ स्थाई सदस्यों को छोड़कर। यह कृपा पात्र अथवा संबंधी सदस्य महासभा के पदाधिकारी के साथ गुटबंदी में उनका सहयोग करते हैं और आज भी यही प्रोजेक्ट वीरपुर के लिए चल रहा है। पटना और मधुबन से घोड़े छोड़े जा चुके हैं गुटबंदी के लिए,परिवारवाद के लिए। लोगों ने महासभा को विकृत होते हुए संविधान को कुचले जाते हुए और समाज को बिखरते हुए देखा है। किसी को 12 साल अध्यक्ष तो किसी को 8 साल रहते हुए देखा है, संविधान की धज्जियां उड़ गई है। आज भी 75- 80 प्रतिशत लोगों को संविधान के बारे में कुछ भी नहीं मालूम है। सुदूर गांव देहात में महासभा के बारे में जानकारी नहीं है। इन्हीं सब बातों के मद्देनजर मैंने और बहुत सारे लोगों ने सुझाव दिए हैं जिससे एक मजबूत और अनुशासित महासभा और संगठित व एकता के सूत्र में बंधे हुए समाज का निर्माण हो सके।
ReplyDeleteप्रो डा राजकुमार गुप्ता
अपना विचार रखने के लिए धन्यवाद
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